Tuesday, January 6, 2015

श्रद्धा वान बनो !! चरण 7

श्रद्धा वान  बनो !!मैंने  तो ये सृष्टि बनाई नहीं है !! अगर आप ने बनाई हो तो मालूम नहीं !! और अगर आप मानले की इसे बनाने वाली कोई भी ताकत है  तो उस ताकत पर श्रद्धा रखनी ही पड़ेगी !!यहसब बनाके वो क्या करना चाहता है ? क़यामत करेगा क्या ? प्रलय करेगा ? हज़ारो साल के बाद उसका क्या प्लान है ? यह सब प्रश्न का एक ही जवाब है उसका संकल्प है !! जो भी हो उसकी मर्जी !!उसके संकल्प में श्रद्धा रखनी ही होंगी !!
हमसे तो बड़ा उसका संकल्प है और हमारा संकल्प तो उसके संकल्प का पार्ट है !!
 बस परमात्मा के संकल्प में श्रद्धा रहे !! 
मेरा  मत !! ये क्या ?  मेरा ही मत  सही है  तो क्या दुसरो का गलत है !!देखने जाओ तो ममत  तो एक प्रॉडक्ट  है !!और अपने ही मत पर अड़े रहना ममत  है !!  दूसरा  क्या अमत  है ? किन्तु अन्य  के मत  के  सामने आपका मत क्या है  यह बात बनती है !! इसी लिए तो राजकारण में  सर्व सम्मति  की  फिलॉसॉफ़ी चली है !! किन्तु इसके  भी आगे कुदरत है !! जो अचानक कुछ न कुछ कर बैठती है !!   यही ईश्वर के संकल्प  की अनुभूति  है !   बस इसीलिए ही मेरा कहना है ईश्वर के संकल्प में श्रद्धा रख्खो !!

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