Tuesday, January 6, 2015

विश्वम भद्रं !! चरण 13

इस दुनिया को बनाने वाला परमात्मा है !! जिसके बारे में विविध वर्णन होते रहे है !! अरे कई धर्मो बन चुके !!कई धर्मो बनके नष्ट भी हो गए है !! और हो भी जायेंगे !!ऐसे अद्भुत प्रभु की रचना तो जो भी होंगी कल्याण के लिए ही होंगी !!और उसकी रचना है !! ये !! अपमान रचयिता का होगा अगर रचना का मान नहीं रख सकोगे !! मेरे सामने से हटादो ये दुनिया में तो निराशा के सूर  है !! विश्वम भद्रं !!
बेध्यान और विश्वदर्शन !!
निद्रा  में हम कहा खो जाते है !! बेध्यान  !! किन्तु जैसे जाग्रति होती है ये दुनिया सामने खड़ी  हो जाती है !! अरे यही तो विश्वदर्शन रुप है  !! मैंने कई पुस्तक पढ़ी है लेकिन अगर किसीने विश्वदर्शन रूप का गीता का चेप्टर का जबरदस्त वर्णन किया है !! तो वो है विनोबाजी ने किया  गीता प्रवचनों में!
बस इसी बात सेमुजे मिलगे दो शब्द बेध्यान और विश्वदर्शन !! बस अगर यही ठहर गए तो यही तो है लैब ढब !! हार्ट का जैसे है !! ये जीवन ह्रदय के धबकार !!
इस दुनिया को बनाने वाला प्रभु है उसने क्यों रावण बनाया क्यों इस बनाया क्यों हुसैन बनाया क्यों हमें बनाया ? यह सब प्रश्नो का उत्तर वोही दे सकता है !! पेड़ पौधे सब के पीछे कुदरत का कोई न कोई हिसाब है !! प्रकाश को ले कर पेड़  के पत्ते क्लोरोफिल बनाते है !! खा जाते है कार्बन डायोक्साइड !! देते है हमें ऑक्सीजन !! पतंगे किट मधु की लालच में पराग वहां करते है न !! सूरज की गर्मी से भाप बनाता  है समंदर तो मिलता है बारिश !! हम मनुष्य बड़े चालक है सबके सब रहस्य ढूंढ़  लेने लगे है !! ज्ञान से भी  आगे है  विज्ञान  !! हम यह निष्कर्ष  पर आते दिखाई देते है के सब का उपयोग है !! हम भी कुदरत के भाग है और हमारा भी उपयोग कुदरत कर रही है !! कहा हमारा  कुदरत उपयोग करी रही है यह हमें खोजना बाकि है !यही तो ज्ञान है ! लेकिन इसका जवाब स्वयं परमात्मा  जानता  है ! मतलब यह विश्व कल्याणके ही है !! और था और रहेगा !!

पूर्णमदः ...



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