गुरु मार्ग दर्शक है !!इसी लिए गुरु उपाय !!
एक बार पूछा गया था गुरु कौन है !! तो एक हाथ में लिया एक हाथ में चौक !! कौन भारी है ? सीधा जवाब है " डस्टर " !! और चौक है !! बस , यही बात है डस्टर गु रु है और चौक लघु !! अगर मुझे कोई अरबी जानकर मिले और मुजे संस्कृत आती है !! तो अरबी में गुरु हुआ वो !!
मतलब आप भी कोई न कोई विषय में गुरु है !! और कई विषयो में शिष्य !!
किन्तु जहाँ उलज गए तो वहाँ कोई न कोई गुरु ढूंढ निकालो !! क्योंकि गुरु तो है ही !! और आप देखेंगे सफल लोगो ने उलजन में टाइम नही बिगाड़ा है पा ही लिया है कहाँ से भी गुरु !!
मार्ग दिखाने को कोई भी रूप में मिल जाता है !! किन्तु अगर न है तो। …
गुरु की जगह ज्योतिषशास्त्र में आत्मा की जगह बताई गई है !!
परमात्मा को समझने के लिए गुरु की जरुरत है !! निर्जीव पुस्तक या कोई अनुभवी भी गुरु बन सकता है !! बिलकुल नजदीक है गुरु !! जरा ध्यान से देखो !!
यह गुरु तत्व अजीब है !! मैंने खुद देखा है कभी कभी जिस चीज़ को समझने के लिए घंटे तक प्रयत्न करते रहते है उसको एक सामान्य बालक सुलजा देता है !! आजकल देखो मोबाइल शिखा देते है न !! बस इससे पता चलता है खुद ही की काम कर लेने की चेस्टा में हमारा अहंकार टेंसन देता है ! लेकिन गुरु आपको दिखाई देता जबरदस्त काम एक सामान्य आसान कर दिखता है !!इसीलिए कहते है न !! शिष्य तो बनाना ही पड़ेगा !! सरलता अहंकार छोड़े बिना शिष्य कैसे बन सकते है ?गुरु बिन ज्ञान कहा से पाउ !!! न जाने किस रूप में सद्गुरु मिल जाय !!
... फिर भी आप बोलेंगे की मुझे तो किस्मे गुरु नज़र नहीं आता तो आगे के चरण में मैंने समझने का कहा है !!
एक बार पूछा गया था गुरु कौन है !! तो एक हाथ में लिया एक हाथ में चौक !! कौन भारी है ? सीधा जवाब है " डस्टर " !! और चौक है !! बस , यही बात है डस्टर गु रु है और चौक लघु !! अगर मुझे कोई अरबी जानकर मिले और मुजे संस्कृत आती है !! तो अरबी में गुरु हुआ वो !!
मतलब आप भी कोई न कोई विषय में गुरु है !! और कई विषयो में शिष्य !!
किन्तु जहाँ उलज गए तो वहाँ कोई न कोई गुरु ढूंढ निकालो !! क्योंकि गुरु तो है ही !! और आप देखेंगे सफल लोगो ने उलजन में टाइम नही बिगाड़ा है पा ही लिया है कहाँ से भी गुरु !!
मार्ग दिखाने को कोई भी रूप में मिल जाता है !! किन्तु अगर न है तो। …
गुरु की जगह ज्योतिषशास्त्र में आत्मा की जगह बताई गई है !!
परमात्मा को समझने के लिए गुरु की जरुरत है !! निर्जीव पुस्तक या कोई अनुभवी भी गुरु बन सकता है !! बिलकुल नजदीक है गुरु !! जरा ध्यान से देखो !!
यह गुरु तत्व अजीब है !! मैंने खुद देखा है कभी कभी जिस चीज़ को समझने के लिए घंटे तक प्रयत्न करते रहते है उसको एक सामान्य बालक सुलजा देता है !! आजकल देखो मोबाइल शिखा देते है न !! बस इससे पता चलता है खुद ही की काम कर लेने की चेस्टा में हमारा अहंकार टेंसन देता है ! लेकिन गुरु आपको दिखाई देता जबरदस्त काम एक सामान्य आसान कर दिखता है !!इसीलिए कहते है न !! शिष्य तो बनाना ही पड़ेगा !! सरलता अहंकार छोड़े बिना शिष्य कैसे बन सकते है ?गुरु बिन ज्ञान कहा से पाउ !!! न जाने किस रूप में सद्गुरु मिल जाय !!
... फिर भी आप बोलेंगे की मुझे तो किस्मे गुरु नज़र नहीं आता तो आगे के चरण में मैंने समझने का कहा है !!
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